Ram Ko Dekhkar | Bhajan | Anupriya Lakhawat

Ram Ko Dekhkar | Bhajan | Anupriya Lakhawat

Anupriya Lekhawat | 248 Listens

play_arrow Play
file_download
playlist_add Add To
favorite_border

Lyrics

Listen to this beautiful bhajan Ram Ko Dekh Kar by Anupriya Lekhawat.

Lyrics :
राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी ।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी ॥
थे जनक पुर गये देखने के लिए,
सारी सखियाँ झरोखो से झाँकन लगे ।
देखते ही नजर मिल गयी प्रेम की,
जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयी ॥
राम को देख कर के जनक नंदिनी…॥

बोली एक सखी राम को देखकर,
रच गयी है विधाता ने जोड़ी सुघर ।
फिर धनुष कैसे तोड़ेंगे वारे कुंवर,
मन में शंका बनी की बनी रह गयी ॥
राम को देख कर के जनक नंदिनी…॥

बोली दूसरी सखी छोटन देखन में है,
फिर चमत्कार इनका नहीं जानती ।
एक ही बाण में ताड़िका राक्षसी,
उठ सकी ना पड़ी की पड़ी रह गयी ॥
राम को देख कर के जनक नंदिनी…॥

राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी ।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी ॥

Original Song Credit

Traditional

Cover Song Credit

Singer: Anupriya Lakhawat
Lyrics: Traditional
Music: Himanshu Katara
Flute: Sandeep Soni